Wednesday, August 21, 2013

राखी बंधन है ऐसा--राखी बंधन है ऐसा

ब्रह्मकुमारियों ने बांधी प्रधानमन्त्री को राखी 
ब्रह्मकुमारियां काफी लम्बे समय से लोगों को स्वच्छ, सात्विक और ऊंचे बैतिक मूल्यों पर आधारित जीवन जीने जा संदेश देती अ रही हैं। किसी समय शायद साठ और सत्तर में दशकों में उनका राज योग //सहज योग बेहद लोक प्रिय भी हुआ था। राखी के अवसर पर उन्होंने भी प्रधान मंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह को राखी बाँधी। इन पलों को झट से कैमरे में उतार पीआईबी के कैमरामैन ने। 

सूचना के अधिकार का वेब पोर्टल जारी

21-अगस्त-2013 19:45 IST
पोर्टल जारी किया श्री नारायणसामी ने
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन तथा प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्‍य मंत्री श्री वी. नारायणसामी ने कहा है कि ऑन लाइन वेब पोर्टल सूचना के अधिकार कानून में एक नया मील का पत्‍थर है। उन्‍होंने कहा कि वेब पोर्टल जारी हो जाने के बाद नागरिकों की भागीदारी और अधिक होगी। पोर्टल जारी करने के दौरान उन्‍होंने कहा कि अभी यह सुविधा केन्‍द्रीय मंत्रालयों के संबंध में ही दी जा रही है, लेकिन जल्‍द ही इससे केन्‍द्र सरकार के अधीनस्‍थ कार्यालयों को भी जोड़ दिया जाएगा। 

श्री नारायणसामी ने राज्‍य सरकारों से आग्रह किया कि वे इसी प्रकार की सुविधाएं विकसित करें, ताकि सूचना के अधिकार के आवेदन पत्र ऑन लाइन प्राप्‍त किए जा सकें। उल्‍लेखनीय है कि ऑन लाइन वेब पोर्टल को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की पहल पर राष्‍ट्रीय सूचना विज्ञान केन्‍द्र ने विकसित किया है। इसकी वेबसाइट का पता http://rtionline.gov.in है। 

नागरिक सूचना के अधिकार का आवेदन पत्र और निर्धारित शुल्‍क का भुगतान भारतीय स्‍टेट बैंक के इंटरनेट बैंकिंग के जरिए तथा वीजा/मास्‍टर क्रेडिट/डेबिट कार्डों के जरिए कर सकते हैं। यह सुविधा भारत सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों के संदर्भ में उपलब्‍ध है। 

वि.कासोटिया/अरुण/दयाशंकर – 5746

Saturday, April 20, 2013

पीरखाना में मेला शुरू--धूम धाम से निकली शोभायात्रा

मंच पर हुआ प्रमुख लोगों का स्वागत 
लम्बी इंतजार के बाद आज लुधियाना के लोगों ने पीर लखदाता जी के दर्शन किये और वह भी अपनी गलियों---अपने बाज़ारों में---स्वयं अपने द्धार पर खड़े हो कर। लोगों ने जगह जगह स्वागती बैनर और पोस्टर लगा रखे थे---लखदाता जी पधारिये----लखदाता जी का स्वागत---l पीर हैदरशेख जी की शोभायात्रा लुधियाना के दरेसी मैदान से बहुत ही धूमधाम से शुरू हुई और अपने निश्चित रूट प्लान से चलती हुई पीरखाना पहुँच कर सम्पन्न हुई। शोभा यात्रा के प्रस्थान से पूर्व दरेसी के राम लीला मैदान में भव्य समारोह भी हुआ। दरेसी मैदान के मंच पर महाराजा सुखपाल भी थे और भजन गायन कर रही टीमें भी। कुछ देर बाद हरीश राये ढांडा इस आयोजन के लिए बंटी बाबा को बधाई देने पहुंचे। कुछ ही पलों में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सतपाल गोसाईं ने भी इस आयोजन की सफलता पर बंटी बाबा और शहर वासियों को मुबारक दी। श्री दुर्गा माता मन्दिर के बलवीर गुप्ता, शिव सेना पंजाब के प्रमुख राजीव टंडन, कांग्रेस पार्टी के विधायक सुरिन्दर डावर, एक एनी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पवन दीवान, पार्षद परमिन्द्र मेहता, पार्षद दल के नेता हेमराज अग्रवाल, रमन गूम्बर, मेयर एच एस गोलवडिया, हरविन्द्र हैपी, सुभाष राजस्थानी, पार्षद कृष्ण खरबंदा, वरिष्ठ अकाली नेता मदन लाल बग्गा,ज्ञान स्थल मन्दिर के प्रधान जगदीश बजाज और कई अन्य प्रमुख व्यक्ति भी मौजूद थे। बंटी बाबा ने यहाँ पहुंचे इन सभी प्रमुख व्यक्तियों को बहुत ही स्नेह से सुस्वागतम कहा और उनका सम्मान भी किया। मंच से चल रहे भजन सभी को लुभा रहे थे। रेखा शेखावत की भजन मंडली गा रही थी-- 
आज रहमत की बरसात है---
बंटी बाबा की क्या बात है--- 
एक और भजन था---
तकदीर के ज़ुल्म कब तक सहें,
तुझ से न कहें तो किस से कहें.....
मंच से बोलते हुए कांग्रेस के पवन दीवान ने आतंकवाद के पुराने दिनों की याद दिलाते हुए कहा कि उन दिनों में यहाँ लुधियाना के लोगों ने शोभा यात्राएं निकलने की हिम्मत नहीं छोड़ी थी।  महाराजा सुखपाल ने इस आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यहाँ बंटी बाबा जिंदगी के राज़ बताते हैं--
कैसे मिलता है ईश्वर---
आ तुझे बता दूं---
लुधियाना के मेयर हरचरन सिंह गोलवडिया ने कहा कि यह सत्य का मार्ग है…अब जब कि कलयुग का प्रभाव बढ़ चूका है तब हमें उन नौजवानों की भी सार लेनी है जो रास्ता भटक चुके हैं---उन्हें नकारना नहीं है---उनसे नफरत नहीं करनी है---उन्हें सद्धमार्ग पर लाना है----
इसी तरह हरविन्द्र हैपी ने बंटी बाबा से अपनी पांच वर्ष पुरानी मुलाक़ात का हवाला देते हुए कई बातों का ज़िक्र किया और बताया कि यहाँ पीरखाना में धर्म कर्म का सिलसिला काफी पुराना है। पार्षद परमिन्द्र मेहता ने पाकिस्तान के साथ जंग की पुरानी यादें ताज़ा करते हुए बताया कि इस तरह के धार्मिक आयोजनों से ही लुधियाना तबाही से बचा रहा--दुश्मन की बुरी नजर से बचा रहा---। उन्होंने शिव सेना के राजीव टंडन को वीर अर्थात भाई कहते हुए काफी तारीफ़ की कि उनका भाई आजकल हिन्दू संगठनों की अगुवाई कर रहा है। इस तरह आज पीरखाना मेले का पहले दिन का आयोजन बहुत ही सफलता से सम्पन्न हुआ। आर के तारेश 

हर वर्ग की संगत ने की मेले में आने की पुष्टि

Thursday, April 18, 2013

हर वर्ग की संगत ने की मेले में आने की पुष्टि

उत्तर भारत के कोने कोने में पहुंचा पीरखाना लुधियाना मेले का संदेश
लुधियाना के न्यू अग्रवाल पीरखाना में शनिवार से शुरू हो रहे तीन दिवसीय मेले में शामिल होने के लिए लोगों का उत्साह लगातार बढ़ रहा है। इस दरबार के मुख्य सेवादार बंटी बाबा ने मीडिया को बताया 20 अप्रैल को निकलने वाली शोभा यात्रा पर हवाई जहाज़ के ज़रिये पुष्प वर्षा की जाएगी। हर गली बाज़ार में रथ यात्रा का स्वागत करने को लोग पूरी तरह तैयार हो कर इन्जार में बैठे हैं। इस सबंध में निमन्त्रण देने का सिलसिला शुक्रवार को भी जारी रहा। क्या छोटा क्या बढ़ा---बिना किसी भेदभाव के हर घर में निमन्त्रण का संदेश पहुँच चुका है। व्यापारियों, नेतायों, समाजिक प्रतिनिधियों…सभी ने इस मेले में बढ़ चढ़ कर शामिल होने की बात कही है। स्कूली छात्रों से लेकर कालेज के बड़े छात्रों तक, गरीब से लेकर अमीर तक, जन साधारण से लेकर नेतायों तक अब बस एक ही चर्चा है और वह है इस मेले में शामिल होने की। मेले के प्रबंधकों ने भी अत्यंत व्यस्त समय होने के बावजूद श्री राम लीला कमेटी दरेसी ग्राऊंड, महावीर सेवा संस्थान, एसीपी सतीश कुमार, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता राजिंदर कुमार भण्डारी, अकाली दल के वृष्ट नेता हीरा सिंह गाबड़िया इत्यादि सभी ने अपने साथियों सहित पहुंचने का वादा किया है। निमन्त्रण देने के इस कठिन कार्य को पूरा करने में न्यू अग्रवाल पीरखाना दरबार की और से अशोक भारती, नरिंदर गुप्ता, रमन शर्मा, सुखविंदर सिंह, दिलीप थापर और एनी कई सेवादार दिन रात जुटे रहे।  
हर वर्ग की संगत ने की मेले में आने की पुष्टि

पीरखाना लुधियाना में मेले की सभी तैयारिया मुक्कमल 


पीरखाना में मेला शुरू--धूम धाम से निकली शोभायात्रा



Tuesday, April 16, 2013

प्रधानमंत्री ने बोस्‍टन में हुए आतंकवादी हमले की निंदा की

16-अप्रैल-2013 17:11 IST
बम धमाकों की जांच में हर प्रकार की सहायता का आश्‍वासन 
प्रधानमंत्री डॉक्‍टर मनमोहन सिंह ने बोस्‍टन में हुए आतंकवादी हमले की निन्‍दा की और आतंकवाद के विरूद्ध संघर्ष में अमरीकी लोगों के साथ अपनी एकजुटता व्‍यक्‍त की है। अमरीका के राष्‍ट्रपति श्री ओबामा को भेजे एक संदेश में प्रधानमंत्री ने इन बम धमाकों की जांच में हर प्रकार की सहायता का आश्‍वासन दिया है। 

प्रधानमंत्री के संदेश का मूल पाठ इस प्रकार है - 
बोस्‍टन में कल हुए घृणित आतंकवादी हमले से मुझे काफी धक्‍का लगा है। हिंसा की यह मूर्खतापूर्ण और कायरतापूर्ण वारदात एक ऐसे शहर में हुई है, जो लम्‍बे समय से उदारता, शिक्षा, नवाचार और उद्यमता का प्रतीक रहा है। 

भारत के लोग मेरे साथ इस हमले की जोरदार शब्‍दों में निन्‍दा करते हैं। हमारी अमरीका के शोक संतप्‍त परिवारों, घायलों और लोगों के साथ सहानुभूति और एकजुटता है। 

यह हमला आतंकवाद की गंभीरता की याद दिलाता है, जो हमारे राष्‍ट्रों के लिए अभी भी खतरा बना हुआ है और हमारे शहरों पर छाया हुआ है। इसके साथ-साथ आतंकवाद को परास्‍त करने और हमारे राष्‍ट्रों को परिभाषित करने वाले मूल्‍यों की रक्षा करने के हमारे प्रयासों में ढील न बरतने के हमारे संकल्‍प को दोहराता है। 

राष्‍ट्रपति महोदय, भारत और अमरीका के बीच आतंकवाद का सामना करने में सहयोग को बनाये रखते हुए हम इस हमले की जांच करने में आपको पूर्ण समर्थन का आश्‍वासन देते हैं।


मीणा\क्‍वात्रा/यशोदा – 1873

Thursday, April 11, 2013

11-अप्रैल-2013 16:04 IST
भारत-रूस सहयोग समझौते पर हस्‍ताक्षर किए गए
भारत सरकार और रूसी संघ ने आपातकालीन प्रबंधन के क्षेत्र में 21 दिसंबर, 2010 को नई दिल्‍ली में हस्‍ताक्षर किए गए समझौता पत्र द्वारा स्‍थापित संयुक्‍त आयोग के संरचना कार्य और प्रक्रिया को परिभाषित करने वाले विनियमन पर 10 अप्रैल, 2013 को मॉस्‍को में, हस्‍ताक्षर किए। 

इस समझौता पत्र पर केंद्रीय गृह मंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे और रूस संघ के नागरिक सुरक्षा, आपात स्थिति तथा प्राकृतिक आपदाओं के परिणाम के उन्‍मूलन मंत्री ने हस्‍ताक्षर किए। समझौते पत्र से दोनों देश आपातकालीन स्थितियों के परिणामों के बचाव और उन्‍मूलन क्षेत्र में एक-दूसरे का सहयोग कर सकेंगे। इससे दोनों देशों के बीच मित्रता को मजबूती मिलेगी और भारत-रूस सहयोग में वृद्धि होगी। 

भारत-रूस आयोग आपातकालीन प्रबंधन में सहयोग देने के लिए नई दिल्‍ली में 21 दिसंबर, 2010 हस्‍ताक्षर किए गए समझौता पत्र को लागू करना सुनिश्‍चित करेगा। भारत-रूस आयोग, आपदाओं की घटनाओं के समय दोनों देशों के लोगों की भलाई और सुरक्षा के लिए सहयोग तथा आपातकालीन प्रबंधन के क्षेत्र में वैज्ञानिक और तकनीक की जानकारी का आदान-प्रदान में भी योगदान देगा। संयुक्‍त आयोग की बैठक वैकल्पिक तौर पर भारत और रूस में आयोजित की जाएगी। (PIB)
मीणा/शोभा/लक्ष्‍मी-1813

Wednesday, April 10, 2013

पाकिस्तानी हिन्दुओ पर मानवाधिकार मौन ?//राजीव गुप्ता


पाकिस्तान मे उनके लिये अपनी अस्मिता को बचाये रखना मुश्किल है
                                                     Courtesy Photo 
मात्र तीन दिन के अपने बेटे को उसके दादा-दादी के पास छोड्कर पाकिस्तान से तीर्थयात्रा वीजा पर भारत आने वाली 30 वर्षीय भारती रोती हुई अपनी व्यथा बताते हुए कहती है कि “अगर मै अपने बेटे का वीजा बनने का इंतज़ार करती तो कभी भी भारत न आ पाती.” 15 वर्षीय युवती माला का कहना है कि पाकिस्तान मे उनके लिये अपनी अस्मिता को बचाये रखना मुश्किल है तो 76 वर्षीय शोभाराम कहते है कि वे भारत मे हर तरह की सजा भुगत लेंगे परंतु अपने वतन पाकिस्तान वापस नही जायेंगे क्योंकि हमारा कसूर यह है कि हमने हिन्दू-धर्म मे पाकिस्तान की धरती पर जन्म लिया है. मै अपनी आँखो के सामने अपने घर की महिलाओ की अस्मिता लुटते नही देख सकता कहते हुए 80 वर्षीय बुजुर्ग वैशाखी लाल की आँखे नम हो गयी. दरअसल यह दिल्ली स्थित बिजवासन गाँव के एक सामजिक कार्यकर्ता नाहर सिँह के द्वारा की गई आवास व्यवस्था मे रह रहे 479 पाकिस्तानी हिन्दुओ की कहानी है (कुल 200 परिवारो मे 480 लोग है, परंतु एक 6 माह की बच्ची का पिछले दिनो स्वर्गवास हो गया). एक माह की अवधि पर तीर्थयात्रा पर भारत आये पाकिस्तानी -हिन्दू अपने वतन वापस लौटने के लिये तैयार नही है, साथ ही भारत-सरकार के लिये चिंता की बात यह है कि इन पाकिस्तानी हिन्दुओ की वीजा-अवधि समाप्त हो चुकी है.
इतिहास के पन्नो मे दर्ज 15 अगस्त 1947 वह तारीख है, जिस तारीख को भारत न केवल भौगोलिक दृष्टि से दो टुकडो मे बँटा अपितु लोगो के दिल भी टुकडो मे बँट गये. पाकिस्तान के प्रणेता मुहमद अली जिन्ना को पाकिस्तान में हिन्दुओं के रहने पर कोई आपत्ति नहीं थी ऐसा उन्होंने अपने भाषण में भी कहा था  कि “क्योंकि पाकिस्तानी -  संविधान के अनुसार पाकिस्तान कोई मजहबी इस्लामी देश नहीं है , तथा विचार अभिव्यक्ति से लेकर धार्मिक स्वतंत्रता को वहा के संविधान के मौलिक अधिकारों में शामिल किया गया है.”  विभाजन की त्रासदी से लेकर अब तक गंगा-यमुना मे बहुत पानी बह चुका है. ज़ख्मो को भरने के लिये दोनो देशो के बीच आगरा जैसी कई वार्ताएँ हुई, टी.वी चैनलो पर कार्यक्रम किये गये, बस व रेलगाडी चलाई गयी, क्रिक़ेट खेला गया परंतु  ज़ख्म तो नही भरा, इसके उलट विभाजन का यह ज़ख्म एक् नासूर बन गया. स्वाधीन भारत की प्रथम सरकार मे उद्योग मंत्री डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के पुरजोर विरोध के उपरांत भी अप्रैल 1950 मे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और लियाकत अली के साथ एक समझौता किया जिसके तहत भारत सरकार को पाकिस्तान मे रह रहे हिन्दुओ और सिखो के कल्याण हेतु प्रयास करने का अधिकार है. परंतु वह समझौता मात्र कागजी ही सिद्ध हुआ. पाकिस्तान में रह रहे हिन्दुओ ने हिन्दुस्तान में शरण लेने के लिए ज्योहि पलायन शुरू किया, विभाजन के घाव फिर से हरे हो गये. पर कोई अपनी मातृभूमि व जन्मभूमि से पलायन क्यों करता है यह अपने आप में एक गंभीर चिंतन का विषय है. क्योंकि मनुष्य का घर-जमीन मात्र एक भूमि का टुकड़ा न होकर उसके भाव-बंधन से जुड़ा होता है. समाचारो से पता चलता है कि पाकिस्तान में आये दिन हिन्दूओ पर जबरन धर्मांतरण, महिलाओ का अपहरण, उनका शोषण, इत्यादि जैसी घटनाएँ आम हो गयी है.
प्रकृति कभी भी किसी से कोई भेदभाव नहीं करती और इसने सदैव ही इस धरा पर मानव-योनि  में जन्मे सभी मानव को एक नजर से देखा है. हालाँकि मानव ने समय – समय पर अपनी सुविधानुसार दास-प्रथा, रंगभेद-नीति, सामंतवादी इत्यादि जैसी व्यवस्थाओं के आधार पर मानव-शोषण की ऐसी कालिमा पोती है जो इतिहास के पन्नो से शायद ही कभी धुले. समय बदला. लोगो ने ऐसी अत्याचारी व्यवस्थाओं के विरुद्ध आवाज उठाई. विश्व के मानस पटल पर सभी मुनष्यों को मानवता का अधिकार देने की बात उठी परिणामतः विश्व मानवाधिकार का गठन हुआ. मानवाधिकार के घोषणा-पत्र में साफ शब्दों में कहा गया कि मानवाधिकार हर व्यक्ति का जन्म सिद्ध अधिकार है, जो प्रशासकों द्वारा जनता को दिया गया कोई उपहार नहीं है तथा इसके मुख्य विषय शिक्षा ,स्वास्थ्य ,रोजगार, आवास, संस्कृति ,खाद्यान्न व मनोरंजन इत्यादि से जुडी मानव की बुनयादी मांगों से संबंधित होंगे. इसके साथ-साथ अभी हाल में ही पिछले वर्ष मई के महीने में पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी  द्वारा मानवाधिकार कानून पर हस्ताक्षर करने से वहाँ एक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग कार्यरत है.
ध्यान देने योग्य है कि अभी कुछ दिन पहले ही  पाकिस्तान  हिंदू काउंसिल के अध्यक्ष जेठानंद डूंगर मल कोहिस्तानी के अनुसार पिछले कुछ महीनों में बलूचिस्तान और सिंध प्रांतों से 11 हिंदू व्यापारियों सिंध प्रांत के और जैकोबाबाद से एक नाबालिग लड़की मनीषा कुमारी के अपहरण से हिंदुओं में डर पैदा हो गया है. वहा के  कुछ टीवी चैनलों के साथ - साथ पाकिस्तानी अखबार डॉन ने  भी 11 अगस्त के अपने संपादकीय में लिखा कि  ‘हिंदू समुदाय के अंदर असुरक्षा की भावना बढ़ रही है’  जिसके चलते जैकोबाबाद के कुछ हिंदू परिवारों ने धर्मांतरण, फिरौती और अपहरण के डर से भारत जाने का निर्णय किया है.  पाकिस्तान हिन्दू काउंसिल के अनुसार  वहां हर मास लगभग  20-25 लड़कियों का धर्म परिवर्तन कराकर शादियां कराई जा रही हैं.  यह संकट तो पहले केवल बलूचिस्तान तक ही सीमित था, लेकिन अब इसने पूरे पाकिस्तान को अपनी चपेट में ले लिया है. रिम्पल कुमारी का मसला अभी ज्यादा पुराना नहीं है कि उसने साहस कर न्यायालय का दरवाजा  तो खटखटाया, परन्तु वहाँ की उच्चतम न्यायालय भी उसकी मदद नहीं कर सका और अंततः उसने अपना हिन्दू धर्म बदल लिया. हिन्दू पंचायत के प्रमुख बाबू महेश लखानी ने दावा किया कि कई हिंदू परिवारों ने भारत जाकर बसने का फैसला किया है क्योंकि यहाँ की  पुलिस अपराधियों द्वारा फिरौती और  अपहरण के लिए निशाना बनाए जा रहे हिंदुओं की मदद नहीं करती है. इतना ही नहीं पाकिस्तान से भारत आने के लिए 300 हिंदू और सिखों के समूह  को पाकिस्तान ने  अटारी-वाघा बॉर्डर पर रोक कर सभी से वापस लौटने का लिखित वादा लिया गया. इसके बाद ही इनमें से 150 को भारत आने दिया गया.
अभी पिछले दिनो  पाकिस्तान द्वारा हिन्दुओ पर हो रही ज्यादतियों पर भारत की संसद में भी सभी दलों के नेताओ ने एक सुर में पाकिस्तान की आलोचना की जिस पर भारत के विदेश मंत्री ने सदन को यह कहकर धीरज बंधाया कि वे इस  मुद्दे पर पाकिस्तान से बात  करेंगे परन्तु पाकिस्तान से बात करना अथवा संयुक्त राष्ट्र में इस मामले को उठाना तो दूर यूंपीए सरकार ने इस मसले को ही ठन्डे बसते में डाल दिया और आज तक एक भी शब्द नहीं कहा. पाकिस्तान में रह रहे हिन्दुओ पर की जा रही बर्बरता को देखते हुए हम मान सकते है कि विश्व-मानवाधिकार पाकिस्तान में रह रहे हिन्दुओ के लिए नहीं है यह सौ प्रतिशत सच होता हुआ ऐसा प्रतीत होता है. भारत के कुछ हिन्दु संगठनो के लोगो के अनुसार इन पाकिस्तानी हिन्दुओ द्वारा इस सम्बन्ध में पिछले माह (मार्च) में ही भारत के राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, गृह मंत्री, विदेश मंत्री, कानून मंत्री, दिल्ली के उपराज्यपाल व मुख्यमंत्री के साथ  सभी संबन्धित सरकारी विभागों सहित भारत व संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार आयोगों को भी पत्र भेजा जा चुका है किन्तु आज तक किसी के पास न तो इन पाक पीडितों का दर्द सुनने की फ़ुर्सत है और न ही किसी ऐसी कार्यवाही की जो पाकिस्तानी दरिंदगी पर अंकुश लगा सके. तो क्या यह मान लिया जाय कि पाकिस्तान के 76 वर्षीय शोभाराम का कहना सही ही है कि पाकिस्तानी हिन्दू अपने हिन्दू होने की सजा भुगत रहे है और उनके लिए मानवाधिकार की बात करना मात्र एक छलावा है ? ऐसी वीभत्स परिस्थिति मे यदि समय पर विश्व मानवाधिकार ने इस गंभीर समस्या पर कोई संज्ञान नहीं लिया यह अपने आप में विश्व मानवाधिकार की कार्यप्रणाली और उसके उद्देश्यों की पूर्ति पर ऐसा कुठाराघात है जिसे इतिहास कभी नहीं माफ़ करेगा.
-      राजीव गुप्ता एक स्वतंत्र पत्रकार हैं और आज के इस कारोबारी युग में भी आदर्शों और मानवता के हित को सामने रख कर लिखते हैं। आप पंजाब स्क्रीन में पहले भी उनकी बहुत सी विचारोतेजक रचनायें पढ़ चुके हैं। इस रचना में भी उन्होंने तर्क और तथ्यों को सामने रख कर बात की है. आपके विचारों की इंतजार बनी रहेगी। राजीव गुप्ता जी सेसम्पर्क के लिए य्नका फोन नम्बर है:  9811558925...........